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          Rani laxmi bai real photo.

          रानी लक्ष्मीबाई

          सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
          बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
          गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
          दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
          चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
          बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
          खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
          कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
          लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
          नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
          बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।
          वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी,
          बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
          खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
          लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
          देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
          नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
          सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़।
          महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
          बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
          खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
          हुई वीरता की वैभव क